कविता

कविता ।

फिर उमड़-उमड़ कर निकल पड़े कुछ शब्द मन के गलियारों से।
लिखने इक नई कविता कोई आपबीती कुछ अंजाने विचारों से।
तुम जब पड़ोगे शब्दों को दोष न देना फिर कुछ हमको ;
शब्द तो साझे हैं सबके न सोचना इन्हें अपने सितारों से।
कुछ दुआ भी है कुछ हुआ भी है शब्दों ने जो रच डाला है;
लहरें जो उठ रही हैं पल-पल टकराती सागर के किनारों से।
दिल कहता कुछ ओर है मस्तिष्क पर न कोई ज़ोर है;
कुछ शब्द टकराते हैं आपस में कुछ बन रहे इनके ईशारों से।
इक महल था ख्वाबों का जो टूट कर अब खंडहर सा लगे;
चीख-चीख कर कहती है अपनी कोई कहानी उन ऊंचे मीनारों से।

– कामनी गुप्ता
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |