मैं दीप की ज्योति हूं
सौंदर्य के गंगाजल में, मैं खुशियां बांट देता हूं। खुद जलकर भी सदा, मैं रूप सजा देता हूं। दुःख में
Read Moreसौंदर्य के गंगाजल में, मैं खुशियां बांट देता हूं। खुद जलकर भी सदा, मैं रूप सजा देता हूं। दुःख में
Read Moreप्रकाश देता है जीवन में उर्जा, सौंदर्य, खुशहाली, समृद्धि का संचार, उमंग, हौसलों कि नई उड़ान, नई सौगात।दीप जीवन के
Read Moreमैं दीप जलाकर रखता हूं। मैं मंगल गीत गाता हूं। मैं हौसलों को मुट्ठी में रखता हूं। मैं खुशियों के
Read Moreधरती पर निराली हिंदी। आसमान को छू गई हिंदी। मन भावों में भा गई हिंदी। झरने सी मीठी हे हिंदी।।
Read Moreहिंदी रस की खान है। हिंदी भारत की शान है हिंदी हमको नव ज्ञान दे। हिंदी सब को वरदान दे।
Read Moreभाषा समाज की पूंजी है जो निरंतर प्रवाह मान के साथ अपनी संस्कृति और संस्कारों की सदा संवाहक होती है।
Read Moreहिंदी मां की ममता जैसी। हिन्दी मां की लोरी जैसी। हिंदी सितार की है झंकार। हिंदी सिखने की है ललकार।
Read Moreइंसान के जन्म के बाद एक नया रूप , नया आकार, एक नए ज्ञान रूपी आकाश देकर संसार में नवजीवन
Read Moreआज देश अपनी आजादी के पर्व को 75 वर्ष पूरे करने पर “आजादी का अमृत महोत्सव” के रूप में मनाने
Read More