पिता
धूप में जलते हैं खुद और पाँव में छाले पड़े, चलते रहें रात दिन, जितना भी चलना पड़े। चिन्ता यही
Read Moreहोली खेलो कान्हा ऐसी, अंग अंग रंग जाये, भीगे चुनरी मोरी ऐसी, रंग न छूटन पाये। सतरंगी रंगों से खेलो,
Read Moreनारी सशक्तिकरण की पहचान हो कैसे, यह हमको बतला डालो, क्या मानक, कौन पैमाना- कौन तराजू, इसको भी समझा डालो| क्या
Read Moreजब गले की फाँस दिल तक आ गई, “आप” के चेहरे पर सिकन छा गई। घिर गये जयद्रथ कुरुक्षेत्र के
Read Moreइतिहास के पन्नों से, वह इतिहास ग़ायब कर दिया, जिससे गौरवान्वित था भारत, काल ग़ायब कर दिया। इन्तिहा बेशर्मी की,
Read Moreहोली का त्यौहार है, प्यार और मनुहार का, रंगों का साथ है, अबीर और गुलाल का। होली हिन्दुओँ का वैदिक
Read Moreमाँ की भाषा मातृभाषा, लोरी से सुनना सीखा था, नींद तुरन्त आ जाती, माँ की थपकी से सीखा था। माँ
Read Moreभागलपुर। साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं है, एक अनमोल विरासत है, जो युगों-युगों तक अक्षुण्ण और शाश्वत बना रहता
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