मुक्तक
कल सिमटी थी धूप कहीं, कोहरे के डर से, ठिठुर रहा था सूरज भी, कोहरे के असर से। एक हवा
Read Moreमुजफ्फरनगर संस्कार भारती–मुजफ्फरनगर के द्वारा ‘‘आराधना’’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। संस्कार भारती साहित्य एवं कला को समर्पित राष्ट्रीय स्वयं सेवक
Read Moreन बेटी ख़राब है और न बेटा ख़राब है, कुछ ख़राब है तो, नज़रिया ख़राब है। बाँटते हैं बच्चों को,
Read Moreशहीद हुए थे ज़ोरावर, फतेहसिंह ने जान गँवाई थी, धर्म नाम पर हुई शहादत, मुग़लों की अगुवाई थी। ज़िन्दा दीवारों
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