मुक्तक/दोहा डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 23/06/2022 धर्म जन्म से जो भी हैं हम, वह तो रहेंगे, निज धर्म की पहचान, सबसे कहेंगे। धर्म ने हमको सिखाया, क्यों Read More
मुक्तक/दोहा डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 17/06/2022 मुक्तक अति विनम्रता हानिकारक, ज्ञानीजन यह कहते, दुष्टों की दुष्टता को, सदा सज्जन जन ही सहते। विनम्र बने वृक्ष नित फल Read More
मुक्तक/दोहा डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 15/06/2022 मुक्तक कुछ नहीं मिला तो क्यों नहीं मिला, ग़र कुछ मिला तो वो क्यों नहीं मिला? इसी जद्दोजहद में सब कुछ Read More
सामाजिक डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 10/06/2022 एक विचार आजकल एक नयी बहस को जन्म दिया जा रहा है कि जाति खत्म करो तो देश का विकास होगा। जाति गरीब Read More
मुक्तक/दोहा डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 06/06/2022 मुक्तक सच ही तो बताया था, झूठ तो नहीं बोला, इशारा ही किया था, परदा तो नहीं खोला। नग्न था सच Read More
कविता डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 05/06/2022 कविता मरी हुई हो आत्मा जिसकी, बस शरीर ही ज़िन्दा हो, उसको कोई क्या मारेगा, जो खुद पर ही शर्मिंदा हो। Read More
सामाजिक डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 19/05/2022 रिश्ते प्रीत गर समर्पण बनेगी, जीवन भर संग संग चलेगी, स्वार्थ का अहसास गर हो, प्रीत बोझ बनने लगेगी। रिश्ते नाते Read More
मुक्तक/दोहा डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 14/05/2022 दोहरे मापदंड शिया सुन्नी या अहमदिया, यदि कहीं मारा जाता है, विश्व पटल पर मुस्लिम मारा, संदेश सुनाया जाता है। शिया मारे Read More
मुक्तक/दोहा डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 06/05/2022 मुक्तक जो आया है इस दुनिया में जायेगा. अमर नहीं कोई भी बचने न पायेगा। जन्म लिया तो मृत्यु भी निश्चित Read More
मुक्तक/दोहा डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 04/05/2022 मुक्तक न्याय को दरबारों की चौखट, नाक रगड़ते देख रहे हैं, गरीब को न्याय की ख़ातिर, दर दर भटकते देख रहे Read More