जब कभी मन में व्यथा हो
जब कभी मन में व्यथा हो आँसूओं का संग जुदा हो बात मन की कह सको ना तब मुझे तुम
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Read Moreकुछ करूं बातें पुरानी, कुछ नयी मैं कह रहा, पहले विदा होती थी बेटी, अब बेटा भी हो रहा। रह
Read Moreहासिये पर बने वह लोग जो विकलांग होकर भी भीड़ से आगे चले हैं, मेरी प्रेरणा बने हैं….. विकलांगता जिनके
Read Moreसिमट रहे परिवार, विराना लगता है, रिश्तों का संसार, सुहाना लगता है। ताऊ- चाचा, बुआ- मामा कैसे होते, नये दौर
Read Moreताउम्र निभाता रहा फर्ज, खुद की खातिर कभी जिया ना, सुकुन से बैठकर नहीं खायी रोटी, दो घूंट पानी पिया
Read Moreपितृ पक्ष में कीजिए अपने पुरखों को याद, श्रद्धा भक्ति से कीजिए, अर्पण तर्पण आज। गाय को चारा देवें, कौओं
Read Moreवह करता है अक्सर देह से देह तक की यात्रा बिना उसकी मर्जी के और शायद बलात्कार भी उसकी आत्मा
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