मुक्ति
मुक्ति सम्भव नहीं वर्तमान से अतीत से और भविष्य से भी। बन्धनों में रहकर भी मुक्त रहना साधना है। अच्छे
Read Moreजेठ की चिलचिलाती धूप में, भूलकर गर्मी का अहसास अथवा हड्डियाँ जमाती सर्दी में जाता है पिता काम पर खेत
Read Moreधर्म को दिल की गहराई से महसूस करो, अध्यात्म की सीढी पर विश्वास से चढो। तर्क और कुतर्क भी दीजिये
Read Moreभौतिक सुख की दौड में, दौड रहे जो लोग,प्रदूषण फैला रहे, नहीं सत्य का बोध।ए. सी., कूलर, फ्रीज से, गैसों
Read Moreनारी शक्ति वंदन, अभिनंदन तुम्हारा,राष्ट्र निर्मात्री वंदन, अभिनंदन तुम्हारा।संस्कार संस्कृति की पोषक, संरक्षक,मानवता की जननी, अभिनंदन तुम्हारा। तुम सशक्त सदा,
Read Moreबार बार हक अपना माँगना सीखिए, हक़ पाने के लिए लड़ना भी सीखिए। बात हो जब राष्ट्र भाषा के सम्मान
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