गीत : तेरी यादों की ढेरी में
तेरी यादों की ढेरी में मन पल-छिन खोया रहता है कब आती है भोर सुनहरी कब ढल जाती शाम
Read Moreतेरी यादों की ढेरी में मन पल-छिन खोया रहता है कब आती है भोर सुनहरी कब ढल जाती शाम
Read Moreव्यस्क हो गई पाखी लेकिन पंख अभीतक उग ना पाये डाल पड़ोसी लगी चिढ़ाने पत्ते सारे टोक रहे हैं
Read Moreगब्बू भैया सो के उठे ही थे कि झबरू ने उनको पकड़ लिया. “अरे कईसे हैं गब्बू भैया?” “हम तो
Read Moreजहाँ भी बीज दिल के बो रहे हैं। वहींपर कैद सपने हो रहे हैं। थमाने को गये पतवार जिनको, सुना
Read More(1) जेठ ज्यों चूल्हा तवा बनी धरती सूरज सम आँच मानव सिंकें उबलता पसीना हाँफती त्रस्त साँसें (2) तुम
Read Moreअरे जिनकी मुहब्बत में खुदी को हम भुला बैठे। वही हमको पकड़वाने सिपाही को बुला बैठे। तमन्ना थी कि
Read Moreजेठ माह में खिले कुसुम वो जिनको बसंत में था खिलना रूप कुदरती नहीं आ सका है सुगंध में अनजानापन
Read More“ये क्या किया सरकार, पिंजरों के दरवाजे खुले रखने का आदेश दे दिया! सब के सब उड़ जाएंगे। क्या बचेगा
Read Moreकम उमर में बाल आधे झड़ गये। ब्रश किया पर दाँत पीले पड़ गये। उनके घर की ओर जब निकले
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