दुःखदायी पराकाष्ठा
दीमक खाए काष्ठ की तरह होती है पराकाष्ठा,जीवन को नष्ट-भ्रष्ट कर देती है पराकाष्ठा,अति का भला न बोलना, अति की
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Read Moreबड़ा कठिन यह यक्ष प्रश्न है,तन जरुरी है या जरूरी है मन,बहुत सरल इसका जवाब है,तन भी जरुरी, जरूरी है
Read Moreमन में मौज रहे, तन में ओज रहे,हर हाल में खुश रहना है जरूरी,होश के साथ जीवन में जोश रहे,तनाव
Read Moreसाथियों में वाद-विवाद चल रहा था.“आजकल बोलना, सुनना, देखना गुनाह हो गया है. न बोलो, न देखो, न सुनो.” एक
Read Moreएक राम अवध के राजा,एक अखिल ब्रह्मांड के धाम,अजर अमर अविनाशी प्यारे,सबके अपने अपने राम। दशरथ प्राण-आधारे राम,कौशल्या के दुलारे
Read Moreबड़े काम के हैं उम्मीद के सिक्के,साहस का पर्याय हैं उम्मीद के सिक्के,जीना बहुत आसान बन जाता है जब,जेब में
Read More“हनुमान बेटा, एक बात बताओ कि, तुम्हारी पूंछ नहीं जली आग में और पूरी लंका जल गई? इसका क्या रहस्य
Read Moreकितने सुख थे उस अस्पताल में, इतनी बीमार होते हुए भी मीनू खुश-सी दिखती थी! जब मन चाहे, अपनी मर्जी
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