Author: *मदन मोहन सक्सेना

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल(दूर रह कर हमेशा हुए फासले )

ग़ज़ल(दूर रह कर हमेशा हुए फासले ) दूर रह कर हमेशा हुए फासले ,चाहें रिश्तें कितने क़रीबी क्यों ना हों

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गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : मुसीबत यार अच्छी है

मुसीबत यार अच्छी है पता तो यार चलता है कैसे कौन कब कितना, रंग अपना बदलता है किसकी कुर्बानी को

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गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : ज़माने की हकीकत

  दुनिया में जिधर देखो हजारों रास्ते दिखते मंजिल जिनसे मिल जाए वे रास्ते नहीं मिलते किस को गैर कह

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