गज़ल : ये कैसा परिवार हुआ
मेरे जिस टुकड़े को दो पल की दूरी बहुत सताती थी जीवन के चौथेपन में अब, वह सात समन्दर
Read Moreमेरे जिस टुकड़े को दो पल की दूरी बहुत सताती थी जीवन के चौथेपन में अब, वह सात समन्दर
Read Moreअपने अनुभवों, एहसासों , विचारों को यथार्थ रूप में अभिव्यक्त करने के लिए जब जब मैनें लेखनी का कागज से
Read Moreख्बाब था मेहनत के बल पर , हम बदल डालेंगे किस्मत ख्बाब केवल ख्बाब बनकर, अब हमारे रह गए
Read Moreग़ज़ल : इश्क क्या है? हर सुबह रंगीन अपनी शाम हर मदहोश है वक़्त की रंगीनियों का चल रहा है
Read Moreकिसको आज फुर्सत है किसी की बात सुनने की अपने ख्बाबों और ख़यालों में सभी मशगूल दिखतें हैं जीबन का
Read Moreजय हिंदी जय हिंदुस्तान मेरा भारत बने महान गंगा यमुना सी नदियाँ हैं जो देश का मन बढ़ाती हैं सीता
Read Moreग़ज़ल(याराना) कभी गर्दिशो से दोस्ती कभी गम से याराना हुआ चार पल की जिन्दगी का ऐसे कट जाना हुआ. इस
Read Moreग़ज़ल (कल तस्वीर बदलेगी) वक़्त की साजिश नहीं तो और क्या बोलें इसे पलकों में सजे सपने , जब गिरकर
Read Moreग़ज़ल(सुन चुके हैं बहुत किस्से) आगमन नए दौर का आप जिसको कह रहे वह सेक्स की रंगीनियों की पैर में
Read Moreबचपन यार अच्छा था जब हाथों हाथ लेते थे अपने भी पराये भी बचपन यार अच्छा था हँसता मुस्कराता था
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