ग़ज़ल (कल तस्वीर बदलेगी)
ग़ज़ल (कल तस्वीर बदलेगी) वक़्त की साजिश नहीं तो और क्या बोलें इसे पलकों में सजे सपने , जब गिरकर
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Read Moreग़ज़ल(सुन चुके हैं बहुत किस्से) आगमन नए दौर का आप जिसको कह रहे वह सेक्स की रंगीनियों की पैर में
Read Moreबचपन यार अच्छा था जब हाथों हाथ लेते थे अपने भी पराये भी बचपन यार अच्छा था हँसता मुस्कराता था
Read Moreग़ज़ल (इशारे) किसी के दिल में चुपके से रह लेना तो जायज है मगर आने से पहले कुछ इशारे भी
Read Moreरंग बदलती दुनिया सपनीली दुनिया मेँ यारों सपनें खूब मचलते देखे रंग बदलती दुनिया देखी ,खुद को रंग बदलते देखा सुबिधाभोगी को तो
Read Moreक्यों हर कोई परेशां है दिल के पास है लेकिन निगाहों से जो ओझल है ख्बाबों में अक्सर वह हमारे
Read Moreगज़ल (बचपन यार अच्छा था) जब हाथों हाथ लेते थे अपने भी पराये भी बचपन यार अच्छा था हँसता मुस्कराता
Read Moreहिन्दू देखे, मुस्लिम देखे, इन्सां देख नहीं पाया मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में, आते जाते उमर गयी अपना अपना राग लिये
Read Moreसपनीली दुनिया मेँ यारो सपने खूब मचलते देखे रंग बदलती दुनिया देखी , खुद को रंग बदलते देखा सुविधाभोगी को
Read Moreइन कंक्रीटों के जंगल में नहीं लगता है मन अपना जमीं भी हो गगन भी हो ऐसा घर बनाते
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