“मुक्तक”
बागवाँ बाग से चाहता वानगी हो गहन ताप या हो विपिन ताजगी दूर तक चाँदनी छा चले राह में हो
Read Moreक्षिप्रा नदी अति पावनी, नगरी श्री महाकाल बारह ज्योतिर्लिंग प्रभु, शिव तृतीय विकराल शिव तृतीय विकराल, भष्म की महिमा भारी
Read Moreबिंदी पाई पागड़ी, स्वर हिंदी अभिमान क ख से ज्ञ तक वर्ण सभी, गुरुवर की पहचान गुरुवर की पहचान, चंद्र
Read Moreलड़ी लड़ाई गढ़ जीवन में, तनमन भेंट किया सरकार कभी अधपकी सूखी रोटी, कभी मिला चटका आचार जितना जतन किया
Read Moreले कागज की नाव को, बचपन हुआ सवार एक हाथ पानी भरे, एक हाथ पतवार एक हाथ पतवार, ढुलकती जाए
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