लघुकथा : लुत्फ़
“रफ़्ता-रफ़्ता वो मेरे …”, “चुपके-चुपके रात-दिन आंसू …”, “पिया रे, पिया रे … लागे नहीं म्हारो जिया रे”, एक से
Read More“रफ़्ता-रफ़्ता वो मेरे …”, “चुपके-चुपके रात-दिन आंसू …”, “पिया रे, पिया रे … लागे नहीं म्हारो जिया रे”, एक से
Read More“वो देखो दाने-पानी की तलाश में निकलती तिलचट्टों की भीड़।” लेबर चौक के चौराहे पर हरी बत्ती की प्रतीक्षा मैं
Read More“देख कुलवंत ज़माना बहुत ख़राब है। आजकल एन० आर० आइज़ ने नया ट्रेंड चला रखा है। कई जगह ऐसे केस
Read More“देख भाई-बहन का हमारा रिश्ता अपनी जगह है, लेकिन मैं कमीशन के पैसे नहीं छोड़ने वाला। तू पहले मेरा कमीशन
Read More“साहब, भारत में माता के नौ रूपों की पूजा होती है,” मंदिर के सामने माता की मूर्ति को नमन करते
Read More“सूरा-40 अल-मोमिन,” पवित्र कुरआन को माथे से लगाते हुए उस्ताद अख़लाक़ ने कहा, “शुरू नामे-अल्लाह से। जो बड़ा ही मेहरबान,
Read More“आ ठकुराइन … आ बैठ।” मंदिर के पुजारी पंडित राम आसरे ने अपने सामने बड़े आदर-सत्कार के साथ बूढी ठकुराइन
Read Moreटेम्स नदी के तट पर बैठे गोरे आदमी ने काले व्यक्ति से अति गंभीर स्वर में कहा, “काला, ग़ुलामी और
Read More“काश! तुम लोगों ने मुझे इंसान ही रहने दिया होता, भगवान् नहीं समझा होता!” प्रभु विन्रम स्वर में बोले। “प्रभु
Read More“आप हर परिस्थिति में इतने शांत, धीर-गंभीर कैसे रहते हैं?” उसने आश्चर्य से कहा। “मैं जीवन के रहस्य को समझ
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