नदी बहती है –बाल कविता
कल कल प्यारी नदिया बहती,चलते चलते वो कुछ कहती,झूम झूम के चलना है जीवन,पथ की बाधाएँ कभी न सहती। मेले
Read Moreकल कल प्यारी नदिया बहती,चलते चलते वो कुछ कहती,झूम झूम के चलना है जीवन,पथ की बाधाएँ कभी न सहती। मेले
Read Moreसच का ये संसार नहीं है,खुशियों का व्यापार नहीं है। लोग यहाँ जो कसमें खाते,खाने को आहार नहीं है। सभी
Read Moreये जीवन है एक लड़ाई,इसमें होती हाथापाई। जीतोगे तो ताज मिलेगा ,हारोगे तो मिलेगी खाई। वैसे तो मिलते कम मौके,
Read Moreगरम समोसे मुसकाते हैं ,मुँह में पानी वो लाते हैं। तीन नुकीले कोनों वाले ,सबके मन को ललचाते हैं। स्वाद
Read Moreसही गलत अब तो पहचानो,किसको कब अपना तुम मानो। जीवन के इस आसमान में ,अपनी ख़ुशी पतंग तुम तानो। हार
Read Moreये दुनिया खुशियों का मेला ,इसमें भरना नहीं झमेला ,उससे मिलना ख़ुशी ख़ुशी से ,जो मानव होवे अलबेला। —जोर लगा
Read Moreसच नैया खेते रहे ,झूठ नदी पर यार,सच चप्पू करता रहा ,झूठ लहर से प्यार ,झूठ लहर से प्यार ,पवन
Read Moreदुनिया सारी झूठ है ,झूठ सारा जहान,झूठ को सत्य मान ले,इसमें तेरी शान। —सच का इक दीपक जला,झूठ हुआ बेहाल,पर
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