कविता : ब्याहता
मेरे बालों के बीच एक रक्ताभ रेखा खींची है सिंदूर की,प्रतीक है मेरे ब्याहता होने की कहीं मंगलसूत्र पहना कर
Read Moreमेरे बालों के बीच एक रक्ताभ रेखा खींची है सिंदूर की,प्रतीक है मेरे ब्याहता होने की कहीं मंगलसूत्र पहना कर
Read Moreछोड़ चुका था जिस घर को वर्षौं बाद पुरखों के घर का दर्शन को आया छत्रछाया में जिसके पले बढ़े
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