ग़ज़ल (आईने रूबरू कर)
आइने को रूबरू कर | रूह को तू सुर्खरू कर | ज़िंदगी का क्या ठिकाना – नफ़रतें दिल से रफू
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Read Moreमछली रानी मुझसे बोली बन जाओ तुम मेरी सहेली। जल जीवन है इसे बचाओ, इसको खाली नहीं बहाओ। नदी सरोवर
Read Moreमरीजो की करें सेवा समर्पित करके जीवन धन। लड़े दिन रात रोगों से मनुज को दे रहे जीवन। यही भगवान
Read Moreबसन्त (दोहे) मधु ऋतु ने दस्तक करी ,दशों दिशा हुलसाय | अमराई बौरों भरी , गली गली महकाय || हरे
Read Moreनव भोर सुहानी बिखरी सी —————— पीली – पीली फूली सरसों , ली ओढ़ धरा ने चुनरी सी | बागों
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