जिंदगी एक जुमला
अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार लेना, किसको अच्छा लगता है ! ‘आ
Read Moreअपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार लेना, किसको अच्छा लगता है ! ‘आ
Read Moreलू चल रही है लू लग रही है… शहरों में भी ख्वाहिशों में भी… पसीना से लथपथ नीम के नीचे
Read Moreसुबह होती है शाम होती है दिन आता है रात जाती है धूप निकलती है फिर अस्त होती है… इस
Read Moreदेश शहर है प्यारा अपने ही समाज से है प्यार । चारों धाम से सुखमय मुझको मेरा घर परिवार ।।
Read Moreप्रलय महाप्रलय की ये रात है । यह कलयुग की करामात है ।। विनाश महाविनाश की महाकाल ! छेड़ती प्रकृति
Read Moreजब…, सभी वस्तु रिक्तता से भर चुका होगा… जब…, समस्त संसार अंधकार में डूब चुका होगा… तब…, समस्त संसार मौन
Read Moreमैं दौड़ रहा था… अचानक… ख़्याल आया… क्या मैं पाऊंगा… क्या पाये… दौड़ने वाले… इतिहास गवाह है…। सिकंदर से हिटलर
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