कविता प्रवीण माटी 04/02/2022 एहसास इजाज़त दे दो अब तो एक एहसास की जो तुम्हें बड़ी मुद्दतों से पाया है अफसानों में हम छाये हैं Read More
कविता प्रवीण माटी 04/02/2022 किरदार किरदारों की गहमागहमी, किरदारों की बात मंच पर कोई है अंधा ,किसी का नहीं है हाथ संवेदनाओं Read More
कविता प्रवीण माटी 31/01/2022 तुम आती हो जुगनूँ की तरहा ख्वाबों में तुम आती हो दिल के आँगन में तेरी पायल की छम-छम रहती है गीतों Read More
कविता प्रवीण माटी 30/01/2022 देहाती एक देहाती दिल्ली में आया कह रहा ये मैट्रो नहीं देख पाया शहरी ने कहा “कुछ नहीं रखा इन Read More
कविता प्रवीण माटी 29/01/2022 दोष टेढी-मेढी संकरी गलियों से गुजरती साँसे अछूती रह जाती हैं परंपरा से किसको दोष दूँ? मानवता का जल सूख गया Read More
लघुकथा प्रवीण माटी 28/01/2022 प्रवीण माटी, रोटी रोटी रोटी! राजू ! परिवार का भरण-पोषण करने के लिए करता है मजदूरी! मालती ने बांध दी चार रोटियां थैले Read More
कविता प्रवीण माटी 28/01/2022 जिंदगी, प्रवीण माटी धैर्य जब कभी छाती के अंदर धैर्य की चिड़िया रास्ता भटक जाती है अधैर्य के बरसाती आसमान में तब मैं किसी Read More
मुक्तक/दोहा प्रवीण माटी 19/01/2022 मुक्तक हार देख कर डर नहीं,देख भाल की धार को। उठा ले ढाल को अब ,पलट दे हर प्रहार को।। ठान Read More
कविता प्रवीण माटी 19/01/2022 धारा बहती धारा सबसे कहती पावन निर्मल बन जाओ पानी बरसे धरा न देखे रेगिस्तान या परबत हो नि:स्वार्थ भाव Read More
कविता प्रवीण माटी 19/01/2022 बदलाव स्वयं में उभरती हीनता को तोड़ मरोड़ कर जीवन का अर्थ समझ आए शायद! इस वजह से कि कोई Read More