गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 13/02/2017 ग़ज़ल जब बेजुबां हो इश्क़ तो क्या लिखे कलमा कोई पत्थर ए महबूब हो तो क्या लिखे कलमा कोई जब जलाए Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 11/01/2017 ग़ज़ल दर्द ए दिल कैसे सुनाया जाएगा कब तलक ऐसे छुपाया जाएगा बेवजह रुशवाईयों के पन्ने पर नाम मेरा ही लिखाया Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 22/12/201622/12/2016 ग़ज़ल २ तन्हाईयों में अक्सर खुद में खुद को ढूंढा करते हैं सुन अपना पता हम अपने दिल से पूछा करते हैं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 08/12/2016 ग़ज़ल -१ कल्पना से मेरी तस्वीर बनाने वाले तूने देखा है कब मुझको सजाने वाले । रंग कितने मोहब्बत के भर दिए Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 08/11/201608/12/2016 ग़ज़ल -२ किसीका टूटा दिल तो हम गुनहगार हो गए सुन इन तोहमतो से यार हम बेजार हो गए। कैसे रहें महफ़िल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 17/10/2016 ग़ज़ल ३ अब नज़र में हम जहाँ के आ गए यूँ प्यार का नशा ही बिखरा गए। चैन से गुल ओ बुलबुल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 17/10/2016 ग़ज़ल २ मौहब्बत ये हमारी हमारी जान की दुश्मन बन गई न जीने देती है न मरने देती है ये उलझन बन Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 17/10/2016 ग़ज़ल १ हम रूठ गए और उनको मनाना नहीँ आया उन्हें अहसास मोहब्बत का दिलाना नहीँ आया । करते है बहुत वादे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 27/09/2016 ग़ज़ल ये जालिमों की बस्ती है न है ठौर न ठिकाना कभी भूलकर यहाँ न चाहत का घर बनाना । हँसकर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 27/09/2016 ग़ज़ल बोल क्या मैं करूँ तुम्हारी ख़ुशी के लिए शमां बनकर जलती हूँ रोशनी के लिए। ये शिकायत नहीँ है दर्द Read More