गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

दर्द ए दिल कैसे सुनाया जाएगा
कब तलक ऐसे छुपाया जाएगा

बेवजह रुशवाईयों के पन्ने पर
नाम मेरा ही लिखाया जाएगा

प्यार की हद तक निभाई दोस्ती
तो भी, बेवफा हमको बताया जाएगा

रंजिशें अच्छी नहीँ लगती हमें
अब, हमें ही हमसे मिटाया जाएगा

हर खता मेरी नहीँ तेरी भी है
ये आइना तुझको दिखाया जाएगा

फूल मुरझाने लगे हैं बाग के
फिर से नया पौधा लगाया जाएगा

दास्तां हम लिख रहे हैं प्यार की
और क्या हमसे लिखाया जाएगा

बह रही हैंआंखों से चिंगारियां
अब आग का दरिया बहाया जाएगा

ख़ुश नहीँ कत्ल करके भी मेरा
क्या अब खून से मेंरे नहाया जाएगा

बेसबब सी ज़िंदगी लगने लगी
और कितना दिल दुखाया जाएगा

प्यार करने की सजा ही मौत है
सुनो कब हमें सूली चढाया जाएगा

रूह को मिलने से कैसे रोकोगे
क्या कब्र को मेरी खुदाया जाएगा

बह रहे ज़ख़्म है चाक जिगर
अब न दर्दे-दिल सिलाया जाएगा

चाहतों में डूबकर पागल हुए
कब हमारा घर छुड़ाया जाएगा

बैठे हैं तनहा अकेले बज्म में
अब कहाँ हमको बुलाया जाएगा

है हमें अन्जामे-उल्फत का पता
इक दिन ज़िंदा ही जलाया जाएगा

लिख दिया है नाम दिल पर तेरा
अब कहाँ हमसे मिटाया जाएगा

तू ही बता कैसे सहें ये बेरुखी
अब यूं और न मुस्कुराया जाएगा

यूं दर्द होता है “जानिब” सुनो
चीर के न दिल दिखाया जाएगा

पावनी दीक्षित “जानिब”

*पावनी दीक्षित 'जानिब'

नाम = पिंकी दीक्षित (पावनी जानिब ) कार्य = लेखन जिला =सीतापुर