गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 23/09/2022 ग़ज़ल कच्ची मिट्टी के हमने मकान देखे हैं और बेघर भी हमनें तमाम देखे हैं। इन आंखों की नमी में कई Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 17/08/2022 पूछिए दर्द ए दिल में हैं कैसा मज़ा पूछिए इश्क कितनी बड़ी है सज़ा पूछिए। देख कर मुझे क्यों नज़र फेर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 05/07/2022 ग़ज़ल बात कोई न थी पर खटकती रही मैं यूं खामोश तन्हा भटकती रही । दिल ने चाहा के हर दायरा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 18/06/2022 ग़ज़ल मुझे खबर न थी जिंदगी उस मोड़ पे लाएगी के मेरी दुआ भी उन तक पहुंच न पाएगी। नहीं खबर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 08/05/2022 ग़ज़ल आंखों से हुई अश्कों की बौछार याद है हमको आज तक वो पहला प्यार याद है। हम चल दिए थे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 04/04/2022 ग़ज़ल चांद जब ठहर गया तो चांदनी बिखर गई आसमां की गोद से ज़मीन पर उतर गई। सरहदें ना पूछिए हमसे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 19/03/2022 ग़ज़ल गवार हूं मेरा दर्द कुछ खास नहीं होता शीसा चुभे य कांटा मुझे अहसास नहीं होता। जब भी लगी ठोकर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 03/02/2022 ग़ज़ल एक अरसा हुआ दिल दुखाए हुए ज़ख्मी दिल पर मरहम लगाए हुए। डूब जाने दे मांझी मेरी नाव को हम Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 13/01/2022 ग़ज़ल दुआओं में अपनी असर ढूंढते हैं तुम्हें आजकल दर बदर ढूंढते हैं। मिलादे मुझे तुम तक जो पहुंचे कि शहर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 02/12/2021 ग़ज़ल अपनी आंखों पे चश्मा लगाया करो नज़र हम से यूं ना मिलाया करो। हम हो जाते हैं खुद से बेखबर Read More