गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

आंखों से हुई अश्कों की बौछार याद है
हमको आज तक वो पहला प्यार याद है।

हम चल दिए थे साथ हर दीवार तोड़कर
हमको जो तुम पर था वो ऐतबार याद है।

जाना हुआ ऐसा के तुम आए न लौटकर
छोड़ा था जिसमें तन्हा वो बहार याद है।

मुझको तड़पता देखके रोते तो तुम भी थे
तेरी हर कसम तेरा वो हर करार याद है।

नादान थे हम दोनों ने इश्क कर लिया
दिल पर नहीं रहा था इख्तियार याद है

आऊंगा लौटकर तुम ये न कह सके
दिल मैं हां थी होंठों का इनकार याद है।

मन आज भी जाता है तेरी राह में जानिब
हर घड़ी हर पल का इंतज़ार याद है।

— पावनी जानिब

*पावनी दीक्षित 'जानिब'

नाम = पिंकी दीक्षित (पावनी जानिब ) कार्य = लेखन जिला =सीतापुर