आंखों से हुई अश्कों की बौछार याद है हमको आज तक वो पहला प्यार याद है। हम चल दिए थे साथ हर दीवार तोड़कर हमको जो तुम पर था वो ऐतबार याद है। जाना हुआ ऐसा के तुम आए न लौटकर छोड़ा था जिसमें तन्हा वो बहार याद है। मुझको तड़पता देखके रोते तो तुम […]
Author: *पावनी दीक्षित 'जानिब'
ग़ज़ल
चांद जब ठहर गया तो चांदनी बिखर गई आसमां की गोद से ज़मीन पर उतर गई। सरहदें ना पूछिए हमसे हमारे इश्क की तुम ही तुम आए नजर ये नजर जिधर गई। अब दुआओं में हमेशा नाम लेते हैं तेरा पहले रब जाना नहीं ये जिंदगी गुजर गई। मेरी चाहतों पर उनको यकीन जब हुआ […]
ग़ज़ल
गवार हूं मेरा दर्द कुछ खास नहीं होता शीसा चुभे य कांटा मुझे अहसास नहीं होता। जब भी लगी ठोकर हम रोकर संभल गए गैर क्या अपना भी कोई पास नहीं होता। मुझे किसी के साने की कीमत क्या पता गवार न होते तो ये कच्चा हिसाब नहीं होता। महफिल थी काबिलों की हम खामोश […]
ग़ज़ल
एक अरसा हुआ दिल दुखाए हुए ज़ख्मी दिल पर मरहम लगाए हुए। डूब जाने दे मांझी मेरी नाव को हम हैं गम के भवर में समाए हुए। वो क्या जाने चहरे पे पर्दा है क्यों ग़म की तहरीर हैं हम छुपाए हुए। हर घड़ी दिल परेशान हैं सोचकर क्यो याद आता है है जो भुलाए […]
ग़ज़ल
दुआओं में अपनी असर ढूंढते हैं तुम्हें आजकल दर बदर ढूंढते हैं। मिलादे मुझे तुम तक जो पहुंचे कि शहर में हम ऐसी डगर ढूंढते हैं । है मालूम के डूब जाएगी कश्ती हम लहरों में आकर भवर ढूंढते हैं। निगाहें मिलीं पर रहीं बेअसर नज़र में बसे वो नज़र ढूंढते हैं। जिसे पीके मीरा […]
ग़ज़ल
अपनी आंखों पे चश्मा लगाया करो नज़र हम से यूं ना मिलाया करो। हम हो जाते हैं खुद से बेखबर हां इतने नजदीक मेरे न आया करो। कर दे ना दुनिया ये रुसवा हमें बात दिलकी न होंठों पे लाया करो। हम तुम्हारे हैं इससे न इनकार है बस नाम लेकर न मेरा बुलाया करो […]
ग़ज़ल
ये क्या हुआ के याद भी आई नहीं मेरी क्या चाहत ए मोहब्बत भाई नहीं मेरी। ख़ामोश यूं हुए के गुमनाम हो गए आवाज तुम तलक क्या आई नहीं मेरी। मुस्कान को हमारी खुशियां न समझिए ये ना समझ के तुम बिन तबाही नहीं मेरी। इतना भी कौन होता है मगरुर ए मोहब्बत दीदार ए […]
ग़ज़ल
नुकसान बहुत हो गया है तेरे प्यार में मेरा चैन और करार गया इंतजार में। चल रही के थम गई है नब्ज देखिए आए न दवा काम इश्क के बुखार में। एक बार ही सही वो देखें जो पलटके तो राहत बरस पड़ेगी दिल ए बेकरा में। आज दर्द है तो कल इलाज़ मिलेगा मारा […]
ग़ज़ल
तनहा अकेले हमसे कटता नहीं सफर हर ओर ढूंढती हैं तुझको मेरी नज़र। बिछड़े भी नहीं और जुदा तुम से हो गए धड़कन में तेरे दर्द का बाकी रहा असर। मौसम बहार का था खिजां भी आ गई जाऊं तो किधर जाऊं मिलती नहीं डगर। वो प्यार के पल शायद फिर आएं न लौटकर जाने […]
ग़ज़ल
यूं मोहब्बत में हमसे इबादत हुई वो इंसान था और खुदा हो गया। रूह छूने का उसमें हुनर आ गया जमी पर वो सबसे जुदा हो गया। इतनी शिद्दत से उसको पुकारा है के नाम निकला लबों से दुआ हो गया। इस कदर मेंरे दिल में समाया है वो हम भी हैरान है के ये […]