चलो मार्निंग वाक पर
दादाजी अब अंगुली पकड़ो,चलो मार्निंग वाक पर। सुबह सबेरे पांच बजे ही, छोड़ दिया बिस्तर मैंने। ब्रश मंजन कर जूते
Read Moreदादाजी अब अंगुली पकड़ो,चलो मार्निंग वाक पर। सुबह सबेरे पांच बजे ही, छोड़ दिया बिस्तर मैंने। ब्रश मंजन कर जूते
Read Moreसुबह निकलकर दिन भर चलता,हुई शाम तो ढलता है ।सूरज रोज निकलता है जी,सूरज रोज निकलता है । पूरब से
Read Moreसुबह शाम पड़ती है भैया ठंड कड़ाके की। और रात की ठंडक तो है, धूम धड़ाके की। सुबह-सुबह की हालत
Read Moreमाँ गुड़हल का फूल कहाँ है,लाकर मुझे दिखाओ।चित्रों वाले फूल दिखाकर,मुझको न बहलाओ।हमनें बस गेंदा गुलाब के,देखे फूल असल के।बाकी
Read Moreझुन्ने ने,मुन्ने ने,मजे लिए सत्तू के। दादी जो लाई थी,गांव से,बत्तू के। महक बड़ी सोंधी सी, रूप भी निराला था।
Read Moreधोती हैं, कुरता,गमछे हैं,हम दादाजी के चमचे हैं। जब छड़ी कहीं गुम जाती है,वे छड़ी -छड़ी चिल्लाते हैं।हम ढूंढ -ढाँढ
Read Moreफूल के बिस्तर पर तितली ने, किया बहुत आराम। कहा फूल ने बहना तितली, जाओ करो कुछ काम। भौंरों और
Read Moreमम्मीजी भैया को बोलो, नहीं चलाये टी. वी.तेज। कभी- कभी धीमा कर देता, कभी तेज करता आवाज़। छोड़ पढाई व्यर्थ
Read Moreहमें बताओ कैसे भागे,आप रात की जेल से। सूरज चाचा ये तो बोलो,आये हो किस रेल से। हमें पता है
Read Moreदहाड़ की आवाज सुनकर वे बाहर आ गईं। वे यानि कि बड़ी बहू मतलब श्याम देवी, गृह स्वामिनी रमादेवी के
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