कविता

मुख्यमंत्री जी का आना

मुख्यमंत्री जी के आते ही , सुस्त हुआ प्रशासन,  हरकत में आ जाता है । सरकारी कर्मचारी कुर्सी पर,  किस काम के लिए बैठे हैं । उन्हें अपना काम,  कुछ घंटों के लिए ही सही,  पर याद आ जाता है । मुख्यमंत्री जी के आते ही, स्वच्छता अभियान…. असल में……. ऐसा होता है । सिर्फ […]

कविता

विश्व शांति ….होली

रंग जिंदगी का हिस्सा है।  रंग -बिरंगी दुनिया में रंगों का अपना किस्सा है।  क्यों ….हम विश्व शांति हेतु प्रयास नहीं कर पाए हैं । लाल रंग की प्यास में अपनी धरती को, मनुष्यता के खून से लाल कर आए हैं । आओ सारे अपनी मेहनत से धरा को हरा-भरा बनाए।  कोई पेट भूखा ना […]

कविता

किताब -घर

मानवीय सभ्यता के विकास का किताब -घर जीवन के किस्से -कहानियों वृतांत का किताब -घर जीवन के रस को जिसने पान किया है। काव्य धारा के अमृत धारा का किताब -घर कहानी घर -घर की हो या सभ्यताओं की, अनगिनत सोपानो का सफर करता है किताब- घर कितने पहलू जिंदगी से अनबूझ  रहे। हर पहलू […]

कविता

हिजाब और बदलाव

औरतों को बस.. डराया जाता है। कभी हिजाब और कभी घुंघट की आड़ लेकर,  सभ्यता- संस्कृति का पाठ पढ़ाया जाता है । औरतों को बस… डराया जाता है। वह कुछ नहीं जानती । यह समझा कर , घर की चारदीवारी में बैठाया जाता है । तुम्हारे यह करने …..से तुम्हारे वह करने…… से धर्म का […]

कविता

बसंत नहीं आया

इस बार बसंत नहीं आया।  धूमिल -धूमिल धरा पर छाया।  बादल बरसे निसदिन – निसदिन. भरे हृदय की व्यथा कोई समझ ना पाया । इस बार बसंत नहीं आया। मौन प्रकृति व्यथा संग मरण सन थी। कैसे गुंजन करते भंवरे बागों में, जब कोई पुष्प ही खिल ना पाया। इस बार बसंत नहीं आया। जीवन […]

कविता

जन्मदिन से  पुण्यतिथि तक

जिंदगी जब …. जन्मदिन से पुण्यतिथि मनाती है।  वो कितना टूटी है पल-पल। अपने टूटे टुकड़ों को,  जोड़कर पूरा होने का , नाटक बखूबी निभाती है । जिंदगी जब जन्मदिन से पुण्यतिथि मनाती है।  कुछ नहीं ….बदलता । लेकिन बहुत कुछ बदल जाता है। चेहरों पर  से  चेहरे उतर जाते हैं।  आसपास की भीड़ के […]

कविता

हिमाचल लिए चलते हैं

 आइए…..आपको हिमाचल लिए चलते हैं । जिसके कण- कण में प्रेम का आविर्भाव है।  देवभूमि के  पवित्र संसार में लिए चलते हैं । आइए….आपको हिमाचल लिए चलते हैं । जीवनदायिनी गंगा की जन्मस्थली जहां पाप लेश मात्र भी नहीं फलते हैं । आइए……आपको हिमाचल लिए चलते हैं । क्षितिज को छूते पहाड़,विचारों और विचारधारा की […]

कविता

नए साल….तू बता

 नए साल अब तू ही बता मैं क्या करूं।  हैप्पी न्यू ईयर  हैप्पी न्यू ईयर कह -कह कर,  नए साल आने की खुशी में वही…..  बरसों  पुराना नाटक करूं। नए साल अब तू ही बता मैं क्या करूं। पिछले साल की अनगिनत टूटी हुई उम्मीदों से, मैं फिर से दिल को  झूठी तसल्ली दे। नए […]

कविता

किसान

किसान हाथ की लकीरों से , लड़ जाते है। जब बंजर धरती पे, अपनी मेहनत से, हल से, लकीरें खींच जाते हैं। हाथ की लकीरों से, लड़ जाते हैं। कभी स्थितियों से, कभी परिस्थितियों से, दो- दो हाथ करते हैं। वो पालते हैं पेट सबके, खुद आधा पेट भर के, मुनाफाखोरी के आगे, हाथ -पैर […]

कविता

कुछ देर सही

कुछ  देर  सही…….पर अफ़सोस होता है।  जब सब करने के बाद भी,  खुद पे इलजाम होता है।  कुछ  देर  सही…….पर  अफ़सोस होता है।  आँख सूखी भी रहे ,  पर दिल जार – जार रोता है। कुछ  देर  सही…….पर  अफ़सोस होता है।  शब्द दिल -दर्द चीर जाता है, और कहने  वाले को…कहाँ  थोड़ा  -सा भी अहसास  […]