ग़ज़ल
वफ़ा को ढूँढने शाम–ओ–सहर गयी हूँ मैं राक़िबे-वक्त हो हर इक डगर गयी हूँ मैं कोई भी बज़्म न कर
Read Moreजी हां- मैं मोहब्बत हूं रब के पैरों कि आहट हूं,बेचैन दिलों की राहत हूं! मैं हर पाकीज़ा रिश्ते के, अस्सास
Read Moreतू मसीहा है मेरा या कि फ़रिश्ता तू है, हाँ अज़ल से ही मेरी रूह में रहता तू है! बेवफ़ा
Read Moreआओ ए इख़लाक़ वालो मिल के रोयें ज़ार ज़ार, जज़्बा-ए-ग़ैरत हुई है आज अर्थी पे सवार। टूट कर बिखरी
Read Moreक्या कशिश है तेरी निगाहों में, मिस्ल-ए–हस्ती है तेरी राहों में। आरज़ू और भी हुई पुख्ता, जब से पहुंचे
Read Moreख़ुशबू से कह दो फैले यहाँ इख़्तिसार में, शहज़ादीमहव-ए-ख़्वाबहै टूटे मज़ार में। शबनम भी आंसुओ की तरह गुल पे
Read Moreचश्मे गिरयाँ में गुहर बन के ठहर जाती है, वही हंसी जो कभी लब पे बिखर जाती है। किसी भी
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