गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

वफ़ा को ढूँढने शामसहर गयी हूँ मैं
राक़िबे-वक्त हो हर इक डगर गयी हूँ मैं

कोई भी बज़्म कर पायी मुतमईयन मुझे
तुम्हारे दर पे ही आकर ठहर गयी हूँ मैं
  
निगल जाएँ अँधेरे कहीं तद्दबुर को
चराग़अज्म की लौ सी बिखर गयी हूँ मैं
  
बिछड़ के तुम से मैं जी पाऊंगी भला कैसे
यह सोच कर तिरी  क़ुर्बत से डर गयी हूँ मैं

जो देखी  इश्क़ में ग़ैरत की मैं ने नीलामी
फ़रेबइश्क़ से पहले  सुधर गयी  हूँ मै

चमन  में उर्दू के जाकर मुझे महसूस हुआ
अदब की  मीठी सी ख़ुशबू के घर गयी  हूँ मैं
 
वो सच्चे प्रेमकी मंज़िल को ढूढने के लिए
हर एक गाओं, गली और नगर गयी हूँ मैं

(1 शाम-ओ-सहर = शाम और सुबह 2 राकिबे-वक्त= समय की रक़ाब 3  बज़्म= मह्फ़िल 4  तद्दबुर= कोशिशें 5   चराग़-ए-अज्म  = हिम्मत का दीप 6 क़ुर्बत= नजदीकी 7 फ़रेब-ए- इश्क़= इश्क़ में धोखा  8 चमन = बाग़)

प्रेम लता शर्मा

प्रेम लता शर्मा

नाम :- प्रेम लता शर्मा पिता:–स्व. डॉ. दौलत राम "साबिर" पानीपती माता :- वीरां वाली शर्मा जन्म :- 28 दिसम्बर 1947 जन्म स्थान :- लुधियाना (पंजाब) शिक्षा :-एम ए संगीत, फिज़िकल एजुकेशन परिचय :-प्रेमलता जी का जन्म दिसम्बर 1947 बंटवारे के बाद लुधियाना के ब्राह्मण परिवार मैं हुआ। 1970 से 1986 तक शिक्षा विभाग में विभिन्न स्कूलों और कॉलेज में पढ़ाया उसके बाद यु.एस.ए. चले गएँ वहां आई.बी.एम. से रिटायर्ड हैं । छोटी सी उम्र में माता-पिता के साये से वंचित रही हैं । पिता जी अजीम शायर व भाई सुदर्शन पानीपती हिंदी लेखक थें । अपने पिता जी की गजलों को संग्रह कर उनकी रचनाओं की एक पुस्तक ‘हसरतों का गुबार’ प्रकाशित कर चुकी हैं ।भारत से दूर रहने पर भी साहित्य के प्रति लगन रोम रोम में बसा है।