गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : एक मुक़द्दस रिश्ते के नाम


तू मसीहा है मेरा या कि
फ़रिश्ता तू है,
हाँ अज़ल से ही मेरी रूह में रहता तू है!

बेवफ़ा सब हैं मेरे वास्ते इस दुनिया में,
बावफायी को मगर देखूं तो दिखता तू है!

ज़ख्म सहराओं कि मानिंद मेरे है लेकिन,
मेरी रग रग में यह लगता है कि बहता तू है!

हाथ फैला के तेरे आगे खुदा क्या मांगूं ,
जो भी दिल से कभी माँगा उसे देता तू है!

मेरे होंटो के तरानों में लिखी ख़ामोशी,
ऐसी ख़ामोशी जिसे गौर से सुनता तू है!

जिंदगी तेरी स्याह रातों में डर लगता था ,
बन् के आया है जो सूरज का उजाला तू है!

दर्द कि धुन में ही डूबी थी ये दुनिया मेरी ,
प्यार में डूबा हुआ कोई तराना तू है !

धूप तीखी थी न साया था कोई रस्ते में ,
प्रेम के सर पे रहा बन् के जो साया तू है

….प्रेम लता शर्मा

प्रेम लता शर्मा

नाम :- प्रेम लता शर्मा पिता:–स्व. डॉ. दौलत राम "साबिर" पानीपती माता :- वीरां वाली शर्मा जन्म :- 28 दिसम्बर 1947 जन्म स्थान :- लुधियाना (पंजाब) शिक्षा :-एम ए संगीत, फिज़िकल एजुकेशन परिचय :-प्रेमलता जी का जन्म दिसम्बर 1947 बंटवारे के बाद लुधियाना के ब्राह्मण परिवार मैं हुआ। 1970 से 1986 तक शिक्षा विभाग में विभिन्न स्कूलों और कॉलेज में पढ़ाया उसके बाद यु.एस.ए. चले गएँ वहां आई.बी.एम. से रिटायर्ड हैं । छोटी सी उम्र में माता-पिता के साये से वंचित रही हैं । पिता जी अजीम शायर व भाई सुदर्शन पानीपती हिंदी लेखक थें । अपने पिता जी की गजलों को संग्रह कर उनकी रचनाओं की एक पुस्तक ‘हसरतों का गुबार’ प्रकाशित कर चुकी हैं ।भारत से दूर रहने पर भी साहित्य के प्रति लगन रोम रोम में बसा है।

2 thoughts on “ग़ज़ल : एक मुक़द्दस रिश्ते के नाम

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत शानदार ग़ज़ल !

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