***बुरा वक़्त ***
सुनो ना…. बुरा वक़्त जैसे ….. फ़टे जूते से निकली कील पैरों में चुभती है, जैसे …. हर मोड़ पर
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Read Moreस्वामी विवेकानंदजी की जन्मवर्षगाँठ के उपलक्ष में कविता ******* संत विवेकानन्द******** जन जन के हृदय में फूंका स्वतंत्रता का शंखनाद
Read Moreझील ऊपर से दिखती कितनी शांत पर क्या वाकई है वो इतनी शांत, कितने अक्स कितनी परछाईयां कितनी ज़िन्दगी कितनी
Read Moreमेरी कामवाली ने आ कर बताया कि ” दीदी आपकी मंदिर वाली माता जी मर गयीं। ” परसों ही तो
Read Moreऔरत है खानाबदोश ………… अपने सपनो को वक़्त के पहिये पर लादे, पिता के घर से बेघर पति के घर
Read Moreपल पल पालती है बंद पिंजरे में एक औरत अपनी महत्वाकाँक्षाओं की चिड़िया को, कभी धूप और खुले आसमान की
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