कविता
सुनो हम बिछड़ के भी बिछड़ते कहां है?? देखो ज़रा,.. हम दोनों अकसर मौज़ूद रहते है एक दूसरे की यादों
Read Moreरुठ जाती हूं तुझसे मैं तुझी को मनाने के लिए,.. दूर जाती हूं तुझसे जराऔर पास आने के लिए,.. तुझे
Read Moreअच्छा लगता है जब कोई मेरी वजह से खुश होता,… सब कहते हैं मैं सबका कहा सुनती हूं मानती हूं,..
Read Moreशाम के साढ़े छ्ह बजने को सिर्फ दस मिनट बाकी थे,.. मैंने जल्दी से सामान का थैला स्कूटी में लटकाया
Read Moreअरे पल्लू तुम रो क्यूं रही हो,.. कोई हमेशा के लिये तुम मुझसे दूर थोड़े ही जा रही हो,… तुम
Read Moreहां मैने सोचा था कि फिर आऊंगी लौटकर तुम्हारे पास कुछ नए दर्द लेकर …. !! पर जब तक जुदा
Read Moreसुनो! तुम्हे लगता है न! स्त्री चार दीवारों के भीतर ज्यादा अच्छी लगती है,.. मुझे स्वीकार है तुम्हारी ये पसंद,..
Read Moreसिर पर नही कोई साया है,मेरा बचपन क्यूं चुरा लिया? अभी अभी जागा मै और,मेरी गोद मे बचपन लिटा दिया,..
Read More