कहानी

कहानी : मेरा स्टेटस…

शाम के साढ़े छ्ह बजने को सिर्फ दस मिनट बाकी थे,.. मैंने जल्दी से सामान का थैला स्कूटी में लटकाया अपना पर्स स्कूटी की डिक्की में डाला,.. और सोच ही रही थी कि अॉफिस में इतने वर्क लोड के बाद घर जाकर ऐसा क्या बनाऊं की समय भी कम लगे और बच्चे और अमित खुश भी हो जांए,.. ?इतने में भीड़ को चीरती हुई एक जानी पहचानी सी आवाज़ आई “मीनल दीदी,.. रुको ना,. और भागती हुई रितु मेरे पास आई,..!!!

पूरे सात साल बाद मैंने उसे देखा था,.. हाथों में चूड़ियां,मांग मे सिन्दूर और साड़ी,.. हमेशा जींस टॉप पहनने वाली रितु को इस रुप मे सामनें खड़ा देखकर मैं आवक रह गई,.. कुछ ही पलों में मैनें खुद को सहेजा,.. और स्कूटी खड़ी की,… और रितु झट से मेरे गले लग गई,… मैं खुश थी उसका बचपना मुझे अतीत की गलियों में ले जाने के लिए काफी था,..!!!

इससे पहले की मैं खुद में खो जाती,.. उसने बताया कि पिछ्ले महीने मेरी शादी विशाल से हुई है जो इसी शहर में रहते है,.. पहली राखी के लिये मुझे भैय्या लेने आए हैं,..विशाल को अॉफिस से आने में देरी थी तो मैंं भैय्या को लेकर शॉपिंग के लिये आ गई,.. ट्रैफिक की वजह से मुझे मोड़पर छोड़कर भैय्या बाईक पार्किंग में रखने गए उसी वक्त किसी जेबकतरे की वजह से वहां हंगामा हो गया और मुझे उस जगह से हटना पड़ा,… कुछ देर में मैं वंहा वापस गई तो भैय्या वंहा नही मिले,..जरूर वो मुझे ढूंढ रहे होंगे और मैं अपना मोबाइल भी साथ नही लाई,.. सोचा किसी बूथ से उन्हे कॉल करती हूं,.. उसी समय मुझे आप दिखीं,.. और मैं आपके पास भाग आई,… दीदी ज़रा भैय्या को कॉल किजिये ना!!!आपको भैय्या का नम्बर तो याद है ना,.. आज तक भैय्या ने अपना नम्बर नही बदला है,..

इन चंद मिनटों में मैंने क्या महसूस किया,..ये बता पाना मेरे लिये मुमकिन नही है,.

मेरे हाथ से फोन लेकर रितु ने रितेश को बताया कि वो वही उसका इंतजार कर रही है,.. मैंने रितु से जल्दी ही मिलने और घर आने का न्यौता देकर बहाना बनाया कि बच्चे घर पर अकेले हैं अभी मैं चलती हूं,..और झट से स्कूटी स्टार्ट की और इतनी तेज़ी से वहां से निकली कि मुझे पता ही नही चला कब घर पहूंची,.. !!

घर आकर भी मैं खुद मे नही थी,.. अतीत के कितने पलों को जिन्हे मैं यादों के सन्दूक मे कैद करके कंही छुपा आई थी,.. सब खुलकर आंखों के सामने चलचित्र की तरह आ गये,… एक मशीन की तरह खाना बनाया,.. सबको खिलाया,.. सरदर्द की वजह से मुझसे कुछ खाया ना गया,. अमित को एक मिटिंग के लिये जाना था,.. बच्चों को होमवर्क करवाते वक्त भी मेरा मन कही और था,.. जैसे-तैसे बच्चों को सुलाया,.. और मैं अॉफिस की फाईलें लेकर स्टडी में आ गई,.. तरस रही थी तब से एकांत के इन पलों के लिये,.. अॉफिस की फाईलें पटकी और सुबक पड़ी,.. देर तक गुबार निकलता रहा,.पर जानती थी कि मुझे खुद को सम्भालना होगा,.. इससे पहले कि अमित आ जांए,.. मैंने खुद को समेटा और अॉफिस के कुछ जरूरी काम निबटाए,.. तब तक अमित भी लौट आए,.. हम दोनों ने चाय पी,.. दोनों ही थके हुए थे,.. दिन भर के हालचाल पूछने बताने के बाद,..दोनों सो गए,.. अमित को तो जल्दी ही नींद आ गई पर मेरी आंखों से नींद कोसो दूर थी,.. बीती बातों को याद करके दुखी होने से बचने के लिये मैं मोबाईल लेकर बैठ गई,..

जैसे ही मोबाईल हाथ मे लिया जाने क्यूं खुद को रोक न पाई,..व्हाट्सप ओपन किया और कॉंटेक्ट लिस्ट मे रितेश का नम्बर सेव किया,.. रितेश को वहां पाकर बेहद खुश हुई मैं मानों कोई खोई हुई चीज मिल गई हो मुझे,..मैंने रितेश का स्टेटस पढ़ा जिसमें लिखा था,…
“खुश रहो हर खुशी है तुम्हारे लिये,.. छोड़ दो आसुओं को हमारे लिये,…”

मैंने जल्दी से अपना स्टेटस बदला,..
“मुबारक हो सबको शमा ये सुहाना,.. मैं खुश हूं मेरे आंसुओं पे न जाना,..”

थोड़ी देर मैं यूं ही खयालों की दुनिया मे खोई रही फिर मुझे लगा रितेश को मेरी आंखों मे आंसू बिल्कुल पसन्द नही थे,.. बस मैने फोन उठाया और अपना स्टेटस फिर से बदला,..

“हम बेवफा हर्गिज न थे,..पर हम वफा कर न सके,.. हमको मिली उसकी सज़ा,. हम जो खता कर न सके,..”
साथ ही मन ही मन दुआ की कि पहले कि तरह आज भी रितेश छुपकर मुझे देखने की आदत भूला न हो,.. क्यूंकि मुझे विश्वास था कि रितु ने

उसे मुझ्से हुई मुलकात कि बारे मे बताया होगा,.. और मेरी ही तरह उसने भी मेरा नम्बर सेव किया होगा,..
उसके बाद मैंने फिर से रितेश का कॉंटेक्ट ओपन किया,.. और मेरी आंखों से खुशी के आंसू छलक आए,.. क्यूंकि जिस वक्त मैं अपना स्टेटस बदल रही थी उसी वक्त उसने भी अपना स्टेटस बदला था,..

“हम बेवफा हर्गिज न थे,..पर हम वफा कर न सके,.. हमको मिली उसकी सज़ा,. हम जो खता कर न सके,..”
रितेश बिल्कुल भी नही बदला है,.. आज भी वो कहेगा कुछ नही मुझे मालूम है,.. पर उसके स्टेटस ने सब कह दिया,..
कुछ देर बाद फिर उसने अपना स्टेटस अपडेट किया ,. “चाहे कहीं भी तुम रहो,.. चाहेंगे तुमको उम्र भर,.. तुमको ना भूल पाएंगे,..”

इस बार मैंने अपडेट किया,.. “तू जंहा जंहा चलेगा,..मेरा साया साथ होगा,…”

और इस अपडेट के बाद मैं सारे दर्द गिले शिकवे भूलकर सो गई,..क्यूंकि कल सुबह जल्दी उठकर मुझे अपना स्टेटस जो अपडेट करना है,…
“हर खुशी हो वहां,.. तू जहां भी रहे,. जिन्दगी हो वहां,,.तू जहां भी रहे,… ” smile emoticon

प्रीति सुराना

One thought on “कहानी : मेरा स्टेटस…

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह ! रोचक कहानी !!

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