इक कर्ज़
जेठ की धूप में गर्म रेत कोहाथों से फिसलता पाया हमनेतिल तिल करके जलते अरमांयूँ ज़िन्दगी को गुज़रता पाया हमनेतन्हाई
Read Moreअजन्मी थी मैं जब किया होगा प्रथम संवाद मां की याद है मुझे जबसे है अपनी याद मौन की शक्ति
Read Moreपी से अनुराग होने लगा धड़कन में राग होने लगा बिन सावन बिन चैत सखी जीवन में फाग होने लगा
Read Moreबीत चला यह वर्ष देकर अपने रंग कुछ गहरे कुछ हल्के कई यादों के संग कुछ खट्टे कुछ मीठे पल, और यादें थोड़ी
Read Moreतो हम सबने व्रत रखे, किसी ने एक या दो दिन तो किसी ने पूरे के पूरे नौ दिन! व्रत
Read Moreसब क्रोध और सारा संताप तुम्हीं रखो अपने हिस्से का सारा ताप तुम्हीं रखो हम अपने कर्म प्रभु चरणों में
Read Moreदूर क्षितिज के पार देखो इंद्रधनुषी संसार आओ हाथ थाम कर चल चलो चाँद के द्वार इस पार तो जगत
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