मैं भारत हूँ
हिमवान मेरे सिर का गौरव नित सिंधु चरण पखारे है उत्तर से दक्षिण तक देखो कैसे प्रकृति मुझे सँवारे है
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Read Moreपी से अनुराग होने लगा धड़कन में राग होने लगा बिन सावन बिन चैत सखी जीवन में फाग होने लगा
Read Moreकविता को कविता के दिन दें कविता का उपहार हर बात को कविता के लहज़े में कह डालें हर बार
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