अवध में राम पधारे
अवध में राम पधारे तो हुईं जगमग गलियाँ खिले जो पुष्प चरण रज पा हर्षाईं कलियाँ चौदह बरसों का वन
Read Moreअवध में राम पधारे तो हुईं जगमग गलियाँ खिले जो पुष्प चरण रज पा हर्षाईं कलियाँ चौदह बरसों का वन
Read Moreमुझमें कोई भेद नहीं छोटे और बड़े का ना ही कहीं रहे आधा कोई वर्ण अकेला मैं हूँ माँ भारती
Read Moreहम सभी जानते हैं कि हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं । 15 अगस्त भारत देश के लिए
Read Moreहिमवान मेरे सिर का गौरव नित सिंधु चरण पखारे है उत्तर से दक्षिण तक देखो कैसे प्रकृति मुझे सँवारे है
Read Moreपी से अनुराग होने लगा धड़कन में राग होने लगा बिन सावन बिन चैत सखी जीवन में फाग होने लगा
Read Moreकविता को कविता के दिन दें कविता का उपहार हर बात को कविता के लहज़े में कह डालें हर बार
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