गीतिका/ग़ज़ल

मज़दूर 

अपनी अपनी तदबीरों के हम सभी मज़दूर
फिर भी लगे कभी तक़दीर के हाथों मजबूर
वक्त कभी भी देखो एक सा नहीं रहता
हर रात के बाद फिर, सुबह आती है ज़रूर
परख रहा मालिक, चोट का ख़ौफ़ ना करना
चमक उठोगे बन कर कोई हीरा पुरनूर
जानेंगे सब, बेशक वो मानें या ना मानें
खुद पर रहे लगाम, और बना रहे शऊर
ज़ीनों ऊपर ज़ीने, चाहे जितने चढ़ लो
सूरज से सीखो, कभी ना करता वो ग़ुरूर
— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी