है ज़हर तो पी
तू मर करके जी है ज़हर तो पी कभी कर्म कभी धर्म कहीं दया ना मर्म है ज्वाला जगी जो
Read Moreतू मर करके जी है ज़हर तो पी कभी कर्म कभी धर्म कहीं दया ना मर्म है ज्वाला जगी जो
Read Moreहाँ! मैं जोकर हूँ! औरों से हटकर हूँ रोते हैं सब जहाँ पर हँसता मैं डटकर हूँ बर्बाद हैं सब
Read Moreचांद के साथ सफर चलो कुछ और करें यादों में वक़्त बसर चलो कुछ और करें रात और दिन के
Read Moreगौर से सुनिए कि है यह मेरी आत्मकथा सभी को लगेगी यह उनकी अपनी व्यथा मैं द्रुपद-पुत्री नाम है मेरा
Read More‘मैं’ को पाने की चाहतों में जाने कब ‘मैं’ भी ‘तुम’ हो गया! ‘मैं’ की तलाश में मेरा अस्तित्व जाने
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