कविता

ए ज़िन्दगी

तेरे नाम जो ख़त लिखे कुछ
लिखकर तुझसे बातें कीं कुछ
चंद कहे औ’अनकहे अलफ़ाज़
सोचा बातें कुछ सुनें-सुनाएं
माँगा तेरा साथ, हाथों में हाथ
करें बसर संग-संग दिन-रात
रूह को रूह की हो तलाश
ख्यालों में बहते रहें यूँ सदा
तेरी हर रज़ा में शामिल हूँ
तेरे साथ ही मैं कामिल हूँ
ख़्वाबों में तेरी तस्वीर, और
आँखों में तेरा सरापा है
कोई मिले जो पीर-फ़क़ीर
या कोई बने जब मेरा मीर
रूह को करे जो बेदार
रूहानियत से वाबस्ता
— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी