गीत/नवगीत

है ज़हर तो पी

तू मर करके जी
है ज़हर तो पी
कभी कर्म कभी धर्म
कहीं दया ना मर्म
है ज्वाला जगी
जो लपट लगी
है क्रोधाग्नि की
है ज़हर तो पी
कभी दुःख कभी क्षोभ
कहीं माया न मोह
गर बारिश हो
आंखों से तेरी
या शब्द झरें
तो लबों को सी
है ज़हर तो पी
कभी तम कभी ताप
कहीं पुण्य ना पाप
राह जो चुनी
बस वो पथरीली
और हर पुष्प की
जो आहुति दी
है ज़हर तो पी
— प्रियंका अग्निहोत्री ‘गीत’

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी