Author: *प्रियंका सौरभ

पर्यावरण

कोई पानी डाल दे तो मैं भी चौंच भर पीलूं: चुपचाप मरते परिंदों की पुकार

तेज़ होती गर्मी, घटते जलस्रोत और बढ़ती कंक्रीट संरचनाओं के कारण पक्षियों के लिए पानी और छांव जैसी बुनियादी ज़रूरतें

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शिक्षा एवं व्यवसाय

प्राइवेट स्कूल का मास्टर: सम्मान से दूर, सिस्टम का मज़दूर

प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों से उम्मीदें तो आसमान छूती हैं, लेकिन उन्हें न तो उचित वेतन मिलता है, न सम्मान,

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शिक्षा एवं व्यवसाय

गोबर, गुस्सा और विश्वविद्यालय की गिरती गरिमा

दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों द्वारा क्लासरूम और प्रिंसिपल के घर पर गोबर लिपने की घटना केवल अनुशासनहीनता नहीं, बल्कि एक

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पर्यावरण

जलवायु संकट की चुप्पी में दबी औरतों की पुकार

2025 बीजिंग इंडिया रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन भारत की ग्रामीण महिलाओं को असमान रूप से प्रभावित कर रहा है।

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राजनीति

बाबा साहेब की विरासत पर सत्ता की सियासत, जयंती या सत्ता का स्वार्थी तमाशा?

बाबा साहब के विचारों—जैसे सामाजिक न्याय, जातिवाद का उन्मूलन, दलित-पिछड़ों को सत्ता में हिस्सेदारी, और संविधान की गरिमा की रक्षा—को

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शिक्षा एवं व्यवसाय

सरकारी स्कूलों को बन्द करने की बजाय उनका रुतबा बढ़ाये। 

भारत में सरकारी स्कूल सामाजिक समानता और शिक्षा के अधिकार के प्रतीक हैं, लेकिन बजट कटौती, ढांचागत कमी और शिक्षकों

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