कोई पानी डाल दे तो मैं भी चौंच भर पीलूं: चुपचाप मरते परिंदों की पुकार
तेज़ होती गर्मी, घटते जलस्रोत और बढ़ती कंक्रीट संरचनाओं के कारण पक्षियों के लिए पानी और छांव जैसी बुनियादी ज़रूरतें
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Read Moreप्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों से उम्मीदें तो आसमान छूती हैं, लेकिन उन्हें न तो उचित वेतन मिलता है, न सम्मान,
Read Moreकभी रिसर्च की चुप्पी में,दीवारों पर गोबर उतरा।तो कभी प्रतिरोध की गर्मी में,वही गोबर उल्टा फेरा। मैडम बोलीं — ‘ये
Read Moreदिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों द्वारा क्लासरूम और प्रिंसिपल के घर पर गोबर लिपने की घटना केवल अनुशासनहीनता नहीं, बल्कि एक
Read Moreवट-वृक्ष की शीतल छाया में,बैठे थे दो प्राणी चुपचाप—एक चंचला चपल गिलहरी,दूजा हरा-पीला तोता आप। थाली में कुछ दाने गिरे
Read More2025 बीजिंग इंडिया रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन भारत की ग्रामीण महिलाओं को असमान रूप से प्रभावित कर रहा है।
Read Moreकला का काम समाज को जागरूक करना है, उसकी विविधताओं को सम्मान देना है, और उस आईने की तरह बनना
Read Moreहर चौक-चौराहे पर अब, सजती है एक माला,बाबा साहब की तस्वीरें, और सस्ती सी दीवाला।नेता भाषण झाड़ रहा है, मंच
Read Moreबाबा साहब के विचारों—जैसे सामाजिक न्याय, जातिवाद का उन्मूलन, दलित-पिछड़ों को सत्ता में हिस्सेदारी, और संविधान की गरिमा की रक्षा—को
Read Moreभारत में सरकारी स्कूल सामाजिक समानता और शिक्षा के अधिकार के प्रतीक हैं, लेकिन बजट कटौती, ढांचागत कमी और शिक्षकों
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