कशिश
लाख कोशिश की उन्हें, भूल जायें! पर चाहकर भी, उन्हें न भूल पाये… न जाने कैसी,कशिश है उनमें, जितना भूलना
Read Moreउम्र की झोली से आज, कुछ हसीन लम्हें, चुरा लिये हमने ! तोड जमाने के बंधन सारे, संग तुम्हारे कुछ
Read Moreपाकर साथ तुम्हारा, हम बहकने लगे हैं, कि बनके खुशबू हवाओ में, महकने लगे हैं ! प्यार हद से हमारा
Read Moreकवि तुम बन जाना हमदम, मैं कविता बन जाऊँगी!! सागर तुम बन जाना हमदम, मैं सरिता बन जाऊँगी!! दीपक तुम
Read Moreजब कभी ठहर जाता है, दर्द . कतरा-कतरा पिघल आँखों में, जम सा जाता है, मानो , तकलीफ़देह, होता है
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