कविता

आँसू की तकलीफ़

जब कभी ठहर जाता है,

दर्द .

कतरा-कतरा पिघल आँखों में,

जम सा जाता है,

मानो ,

तकलीफ़देह,

होता है कितना ,

आँख से आँसू का न बहना————–

जिसका जो काम है,

अगर वो न करे,

उलझन सी होती तो है दिल को,

पर आँसू की तकलीफ़ उसका क्या,

कहाँ जानी किसी ने———

हर खुशी हर गम में,

बिन बुलाये मेहमान जैसे,

बह आते हैं आँखों के रास्ते,

थम सा गया है,

वो अगर,

असहनीय पीडा हुई होगी,

उसे भी———–

ग्रन्थी ही सही,

हिस्सा तो जिस्म का ही है,

जब कभी ठहर जाता है,

दर्द .

कतरा-कतरा पिघल आँखों में———-

राधा श्रोत्रिय ”आशा”

राधा श्रोत्रिय 'आशा'

जन्म स्थान - ग्वालियर शिक्षा - एम.ए.राजनीती शास्त्र, एम.फिल -राजनीती शास्त्र जिवाजी विश्वविध्यालय ग्वालियर निवास स्थान - आ १५- अंकित परिसर,राजहर्ष कोलोनी, कटियार मार्केट,कोलार रोड भोपाल मोबाइल नो. ७८७९२६०६१२ सर्वप्रथमप्रकाशित रचना..रिश्तों की डोर (चलते-चलते) । स्त्री, धूप का टुकडा , दैनिक जनपथ हरियाणा । ..प्रेम -पत्र.-दैनिक अवध लखनऊ । "माँ" - साहित्य समीर दस्तक वार्षिकांक। जन संवेदना पत्रिका हैवानियत का खेल,आशियाना, करुनावती साहित्य धारा ,में प्रकाशित कविता - नया सबेरा. मेघ तुम कब आओगे,इंतजार. तीसरी जंग,साप्ताहिक । १५ जून से नवसंचार समाचार .कॉम. में नियमित । "आगमन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह " भोपाल के तत्वावधान में साहित्यिक चर्चा कार्यक्रम में कविता पाठ " नज़रों की ओस," "एक नारी की सीमा रेखा"