स्त्री
रसोई से उठते, घी के धुँये सी सुबह, दीपक की लौ सी जलती शामें! भाव का दीप प्रज्जवलित कर, खुद
Read Moreबात उन दिनों की है.. ………….जब मेरे पति अकसर काम के सिलसिले में बाहर रहते थे.बेटे को स्कूल के लिये बस
Read Moreसात फेरों के नाजुक बधँन में,गुलाबी कपडे में ,मन्त्रोच्चार के साथ!पान,सुपारी,रुपया रख,गाँठों में, बाँध दिये जाते हैं रिश्ते!जन्म -जन्मानतरों की
Read Moreआग सुलगती है नफ़रत की मन मेंआँखे फिर भी झरती हैं!!कब्र खुदी है इंसानियत की ,मानवता आहें भरती है!!अपने वक्त
Read Moreसुबह लिख दूँ,कि शाम लिख दूँ,तेरे नाम ये उम्र,तमाम लिख दूँ !बहती हवा का,थाम लूँ दामन,चुपके से उनको,सलाम लिख दूँ
Read Moreये जो शब्दों की सीमा रेखा है, बिल्कुल वेसे जेसे ये मन! कोई तट नहीं बना इसके लिये, विस्तृत, अथाह,
Read Moreजाडे की, ठिठुरती रातों में तुम्हारा, स्नेहिल स्पर्श , मानो तन,मन में, ऊर्जा सी, प्रवाहित, हो उठती है! तुम्हारे हाथों
Read Moreभावों की सरिता की थाह, नहीं कोई , नहीं ,कोई छोर ! एक बार, डूबने के,बाद , अंतहीन ,दिशाहीन हो,
Read Moreदूर कहीं किसी निर्जन में, बदहाली पर अपनी, आँसू बहा रही है! आज की कविता—— किस बात का क्या अर्थ
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