गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : तेरे नाम

सुबह लिख दूँ,कि शाम लिख दूँ,
तेरे नाम ये उम्र,तमाम लिख दूँ !
बहती हवा का,थाम लूँ दामन,
चुपके से उनको,सलाम लिख दूँ !
चाँद से माँगकर में चाँदनी,
मोहब्बत का, हँसी,पैगाम लिख दूँ !
छिपालूँ , पलकों में,अपनी तुझको ,
हर धडकन में ,तेरे नाम, लिख दूँ !
गुनगुना उठेगी ,”आशा” जिंदगी ,
हाथों कि मेंहदी में, तेरे नाम लिख दूँ !
सुबह लिख दूँ,कि शाम लिख दूँ,
तेरे नाम ये उम्र,तमाम लिख दूँ !
राधा श्रोत्रिय”आशा”

राधा श्रोत्रिय 'आशा'

जन्म स्थान - ग्वालियर शिक्षा - एम.ए.राजनीती शास्त्र, एम.फिल -राजनीती शास्त्र जिवाजी विश्वविध्यालय ग्वालियर निवास स्थान - आ १५- अंकित परिसर,राजहर्ष कोलोनी, कटियार मार्केट,कोलार रोड भोपाल मोबाइल नो. ७८७९२६०६१२ सर्वप्रथमप्रकाशित रचना..रिश्तों की डोर (चलते-चलते) । स्त्री, धूप का टुकडा , दैनिक जनपथ हरियाणा । ..प्रेम -पत्र.-दैनिक अवध लखनऊ । "माँ" - साहित्य समीर दस्तक वार्षिकांक। जन संवेदना पत्रिका हैवानियत का खेल,आशियाना, करुनावती साहित्य धारा ,में प्रकाशित कविता - नया सबेरा. मेघ तुम कब आओगे,इंतजार. तीसरी जंग,साप्ताहिक । १५ जून से नवसंचार समाचार .कॉम. में नियमित । "आगमन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह " भोपाल के तत्वावधान में साहित्यिक चर्चा कार्यक्रम में कविता पाठ " नज़रों की ओस," "एक नारी की सीमा रेखा"

2 thoughts on “ग़ज़ल : तेरे नाम

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी , हरमोनीअम और तबले से गाने से इसे चार चाँद लग जाएंगे .

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