ऐ मेरी कविता…
ऐ मेरी कविता, हुई रूबरू, जब तुमसे पहली बार ! तुम मिली मुझे बनके , मेरी माँ का प्यार !
Read Moreऐ मेरी कविता, हुई रूबरू, जब तुमसे पहली बार ! तुम मिली मुझे बनके , मेरी माँ का प्यार !
Read Moreबडे जतन से बुना, जो रिश्ता हमने! सहेज हर धागे को, पिरोया लम्हों में! तोड दी एक पल मैं, ख्वावों
Read Moreपूरी प्रकृति है, जाड़े की गिरफ़्त में! साँस रोके खड़े हैं. पैड़-पौधे, एकदम शांत! दुबके हुए है पंक्षी भी, अपने-अपने
Read Moreकलम भी आज काँप रही हैं, शब्दों की मासुमियत खो गयी— मासूमों के, लहू से देखो, धरती माँ, घायल हो
Read Moreयादों की पुरवाई आज फिर तेरी यादों की, पुरबाई चली है ! महक उठी है,साँसें मेरी , आँखों में तेरी
Read Moreनफरत के बीज निकाल मन से, प्यार के फूल खिलाकर देख !! एक ही मजहब है सबका, इंसानियत अपनाकर देख
Read Moreकुछ इस तरह बैठा है, आलसी कोहरा, पैर पसारे, शाख पर! हैराँ परेशाँ सा है सूरज, नहीं समझ पा रहा, क्या करे
Read Moreमाँ की आँखों का नूर, पिता का गुरूर होती है बेटी! घर की शान और अभिमान होती है बेटी! फ़ूलों की
Read Moreमेरा ओम प्यारा ओम, नन्हा राज दुलारा ओम! दिन भरशरारत करता, नहीं किसी से ड़रता ओम! मीठी- मीठी बातें करता
Read Moreतुम साथ होते हो , तो समय जैसे पंख लगाकर, उड़ जाता है ! लगता है कुछ लम्हें , और
Read More