कविता

ऐ मेरी कविता…

ऐ मेरी कविता, हुई रूबरू,
जब तुमसे पहली बार !
तुम मिली मुझे बनके ,
मेरी माँ का प्यार !
फिर तब,जब धड़की,
तुम मेरे गर्भ मैं,
पहली बार!
महसूस हुई नन्हीं,
नाजुक,कोमल ,
अनमोल सी छुअन तुम्हारी,
पहली बार!
ली मेरी ममता ने अंगड़ाई,
बज उठी मन मैं मेरे,
उमंगों की शहनाई!
जनमी कोख से तुम मेरी,
लिया गोद मैं तुम्हें जब
पहली बार!
भर आये आँचल,
भीग उठे जज्बात,
उतर आया आँखों मैं,
ममता का सैलाब,
पहली बार!
लगा छाती से तुम्हें,
तृप्त हुआ मातृत्व,
पहली बार !
ममता हुई निहाल,
पाकर तुम्हारा प्यार,
पहली बार!
ऐ मेरी कविता, हुई रूबरू,
जब तुमसे पहली बार !
…राधा श्रोत्रिय”आशा”
२८-०७-२०१४
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राधा श्रोत्रिय 'आशा'

जन्म स्थान - ग्वालियर शिक्षा - एम.ए.राजनीती शास्त्र, एम.फिल -राजनीती शास्त्र जिवाजी विश्वविध्यालय ग्वालियर निवास स्थान - आ १५- अंकित परिसर,राजहर्ष कोलोनी, कटियार मार्केट,कोलार रोड भोपाल मोबाइल नो. ७८७९२६०६१२ सर्वप्रथमप्रकाशित रचना..रिश्तों की डोर (चलते-चलते) । स्त्री, धूप का टुकडा , दैनिक जनपथ हरियाणा । ..प्रेम -पत्र.-दैनिक अवध लखनऊ । "माँ" - साहित्य समीर दस्तक वार्षिकांक। जन संवेदना पत्रिका हैवानियत का खेल,आशियाना, करुनावती साहित्य धारा ,में प्रकाशित कविता - नया सबेरा. मेघ तुम कब आओगे,इंतजार. तीसरी जंग,साप्ताहिक । १५ जून से नवसंचार समाचार .कॉम. में नियमित । "आगमन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह " भोपाल के तत्वावधान में साहित्यिक चर्चा कार्यक्रम में कविता पाठ " नज़रों की ओस," "एक नारी की सीमा रेखा"

One thought on “ऐ मेरी कविता…

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

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