कविता

नफरत के बीज

नफरत के बीज निकाल मन से,
प्यार के फूल खिलाकर देख !!
एक ही मजहब है सबका,
इंसानियत अपनाकर देख !!

बिना प्यार के सूना जीवन,
धरती प्यासी,बिन सावन !!
नफरत के बीज निकाल मन से,
प्यार के फूल खिलाकर देख !!

कोई नहीं इस जग मैं ऐसा,
जिसे प्यार की चाह न हो !!
दीप जला प्यार का मन मैं,
मन को मंदिर बनाकर देख !!

नफरत के बीज निकाल मन से,
प्यार के फूल खिलाकर देख !!
सब के मन मैं एक ही ईश्वर,
मन से नफरत हटाकर देख !!

जाति-धर्म से उठकर ऊपर,
सबको गले से लगाकर देख !!
नफरत के बीज निकाल मन से,
प्यार के फूल खिलाकर देख !!

“अाशा” है माहोल चुनावी तो,
सियासत होना लाज़मी है !!
भुलाकर मन से भूख सत्ता की,
भावना देश-भक्ती की जगाकर देख !!

…राधा श्रोत्रिय “आशा”

राधा श्रोत्रिय 'आशा'

जन्म स्थान - ग्वालियर शिक्षा - एम.ए.राजनीती शास्त्र, एम.फिल -राजनीती शास्त्र जिवाजी विश्वविध्यालय ग्वालियर निवास स्थान - आ १५- अंकित परिसर,राजहर्ष कोलोनी, कटियार मार्केट,कोलार रोड भोपाल मोबाइल नो. ७८७९२६०६१२ सर्वप्रथमप्रकाशित रचना..रिश्तों की डोर (चलते-चलते) । स्त्री, धूप का टुकडा , दैनिक जनपथ हरियाणा । ..प्रेम -पत्र.-दैनिक अवध लखनऊ । "माँ" - साहित्य समीर दस्तक वार्षिकांक। जन संवेदना पत्रिका हैवानियत का खेल,आशियाना, करुनावती साहित्य धारा ,में प्रकाशित कविता - नया सबेरा. मेघ तुम कब आओगे,इंतजार. तीसरी जंग,साप्ताहिक । १५ जून से नवसंचार समाचार .कॉम. में नियमित । "आगमन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह " भोपाल के तत्वावधान में साहित्यिक चर्चा कार्यक्रम में कविता पाठ " नज़रों की ओस," "एक नारी की सीमा रेखा"

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