“मैं सोचता हूं…“
आज लिखने जैसा कुछ भी नहीं पर सोच है कि रुकती नहीं मैं सोचता हूं… लाचार, बीमार- शब्द उभरता है
Read Moreआज लिखने जैसा कुछ भी नहीं पर सोच है कि रुकती नहीं मैं सोचता हूं… लाचार, बीमार- शब्द उभरता है
Read Moreसूनी आखों में इक आस अभी बाकी है दूर देखता हूं तो उजास अभी बाकी है तेरी यादों का सहारा
Read Moreतुमको सोचूं तो जैसे प्यासे को पानी कृष्ण की मीरा दीवानी जेठ की दुपहरी में पीपल की छाव हरी भरी
Read Moreकितनी बार डगमगाई कश्ती , कितनी बार संभाला है तूने भंवर में जब भी फंसी नाव मेरी हर बार आकर
Read Moreतुमको सोचू तो जैसे प्यासे को पानी कृष्ण की मीरा दीवानी जेठ की दुपहरी में पीपल की छाव हरी भरी
Read Moreफलसफा जिन्दगी से यही हमने सीखा नहीं कोई होता फलसफा जिन्दगी का भूख लगे तब खाना नींद लगे तब सोना
Read Moreअदाओं से तेरी संभलते तो संभलते कैसे निगाहों से तेरी बचके निकलते तो निकलते कैसे, चांद गायब था शब भर
Read Moreहुई बरसात तो तुम याद आए उमड़े जज्बात तो तुम याद आए, हिचकियां हिचकियों पर आती रही किसने किया याद
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