गीत/नवगीत

मेरे हमसफ़र आओ आ भी जाओ

सूनी आखों में इक आस अभी बाकी है
दूर देखता हूं तो  उजास अभी बाकी है
तेरी यादों का सहारा बचा है जीने को
ग़म सारे पी चुका जहर बचा है पीने को
चैन से मौत आ जाए मगर उससे पहले
मेरे हमसफ़र आओ ,आ भी जाओ

सुनहले ख्वाबों की नींद अभी बाकी है
सूरज निकलेगा उम्मीद अभी बाकी है
दिल में जज्बा है जीत का मगर कब तक
सांसे चलती रहेंगी है उम्मीद जब तक
जीवन की डोर टूट जाए उससे पहले
मेरे हमसफ़र आओ ,आ भी जाओ

किया था वादा वो भी निभाना बाकी है
मिलन के गीत गाना अभी तो बाकी है
आंखें पथरा गयी है तेरा रस्ता तक तक
अब ना आए तो फिर आओगे कब तक
रोशनी आंखों की गुजर जाए उससे पहले
मेरे हमसफ़र आओ ,आ भी जाओ

राजेश सिंह

पिता. :श्री राम चंद्र सिंह जन्म तिथि. :०३ जुलाई १९७५ शिक्षा. :एमबीए(विपणन) वर्तमान पता. : फ्लैट नं: ऐ/303, गौतम अपार्टमेंट रहेजा टाउनशिप, मलाड (पूर्व) मुंबई-400097. व्यवसाय. : मुख्य प्रबंधक, राष्ट्रीयकृत बैंक, मुंबई मोबाइल. :09833775798/08369310727 ईमेल. :raj444singhgkp@gmail.com