मुक्तक
बजरंगी सा वीर नहीं जो छू ले सूरज को संपाती के पर जल जाते छूते सूरज को कल्पना करना सहज
Read Moreमापनी : 212 , 212 , 212 ,212 ” ================================== प्रेम पथ के पथिक – रोज आते रहे / दर्द
Read Moreमात्रा भारांक ——— १६/१२ पर भारत ज्ञान पुंज संसारा / कोकिल कंठ मधुर रसना मय गाता गीत हमारा/ देश विदेशी
Read Moreरिश्ते -नाते न बदले अब – बदल गया व्यवहार / हाव भाव उनके अब देखो – कैसा शिष्टाचार / चाय
Read More१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ नही पानी बहाओ अब- यही जीवन सजाता है/ करो बर्वाद ना पानी – यही सबको रुलाता
Read Moreमैं एक छोटा सा पौधा हूँ जीवन तन मन का सौदा हूँ हरियाली नित दिन देता हूँ खुशहाली का वर देता
Read Moreजात रहे परदेश कहे तब लाग लुगाइया मत जाओ परदेश पिया निक इह इ म डाहिया न सोना ना चाँदी
Read Moreचैत्र माह की पूर्णिमा हनुमान जयंती के रूप मे मनाया जाता है, यह हिन्दुओ और पवनपुत्र के भक्तो के लिये
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