काव्य रचना
कलियुग में रवि सम उदय , जैसे हुआ प्रभात । सब अँधियारा मिट गया, भूल गये दिन रात । माया
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Read Moreजग में मोदी तेरा नाम , दुनियाँ करती है गुणगान । कैसा पावन तेरा काम , दुश्मन करते रोज
Read Moreचारों खाने चित्त हुए हैं , कलियुग के सब नेता । कोई आया सतयुग वाला , यह कैसा है नेता
Read Moreकलियुग चाहत करता नर । भूषण भूषित रत्नाकर । सूरज किरणें हरती तम । कविवर शारद कविता वर । ======
Read Moreकेंद्रीय सरकार द्वारा प्रत्याभूत मुद्रा का समय-समय पर परिवर्तन होना यथार्त मुद्रा का चलन मुद्रा स्फूर्ति ही देश के विकास
Read Moreवोट नोट की ओट में , खेले नेता रोज । काला कैसे हो सफ़ा, रहे तरीका खोज । काला धन
Read Moreमित्रो की हर लिस्ट देख , यारा चकराया । एक चौवालिस यार , बखूबी निभा न पाया । कभी पृष्ठ
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