राजनीति

माया मोदी

वाह मोदी जी

गजब के जादूगर निकले काला धन के साथ साथ घर का काला धन भी बाहर निकाल दिए द्वापर का कृष्ण कहूँ तो कोई ग़लती नही. कृष्ण गोपीक्ाओं को नचाते थे. प्रेम मे भक्ति में. आप ने समय दिया काला माल जमा कर दो. नहीं माने बोलने दो मोदी को वाहह क्या करारा झटका. चारों खाने चित्त कभी तिजोरी निहारते है. कभी खुद को कोसते है समय था टैक्स भर देता काला को सफेद कर देता. ना जाने इस कलियुग में नोट की माया मोदी को क्यों नहीं लगी. सीना पीटपीट का सेठ जी का बुरा हाल था. संगत भी बेकार था. नौकरों को दस रुपया देने में पाँच घंटे बतक्कड़ करते थे.

वाह रे माया तू

इनसे कैसे अलविदा कर रही है माया उवाच भक्त मै तेरे दिल में हूँ, तेरे रग रग में समायी हूँ , तेरी चेतना हूँ फिर तुम से दूर कैसे जा सकती हूँ. सेठ उवाच माँ तेरी माया अपरंपार है माते फिर इस मोदी का कैसा संसार है तू तिजोरी में पड़ी फिर भी बेकार है. पुत्र मोदी माया से परे है. माया कभी उनका वरण नहीं कर सकती विपक्ष सदैव देश विदेश का घुमक्कड़ बताता है. विपक्ष का काम विरोध करना है. मोदी कलियुग का अर्जुन है. सावधान हो जाओ पुत्र.

राज किशोर मिश्र 'राज'

संक्षिप्त परिचय मै राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी कवि , लेखक , साहित्यकार हूँ । लेखन मेरा शौक - शब्द -शब्द की मणिका पिरो का बनाता हूँ छंद, यति गति अलंकारित भावों से उदभित रसना का माधुर्य भाव ही मेरा परिचय है १९९६ में राजनीति शास्त्र से परास्नातक डा . राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय से राजनैतिक विचारको के विचारों गहन अध्ययन व्याकरण और छ्न्द विधाओं को समझने /जानने का दौर रहा । प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश मेरी शिक्षा स्थली रही ,अपने अंतर्मन भावों को सहज छ्न्द मणिका में पिरों कर साकार रूप प्रदान करते हुए कवि धर्म का निर्वहन करता हूँ । संदेशपद सामयिक परिदृश्य मेरी लेखनी के ओज एवम् प्रेरणा स्रोत हैं । वार्णिक , मात्रिक, छ्न्दमुक्त रचनाओं के साथ -साथ गद्य विधा में उपन्यास , एकांकी , कहानी सतत लिखता रहता हूँ । प्रकाशित साझा संकलन - युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का उत्कर्ष संग्रह २०१५ , अब तो २०१६, रजनीगंधा , विहग प्रीति के , आदि यत्र तत्र पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं सम्मान --- युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच से साहित्य गौरव सम्मान , सशक्त लेखनी सम्मान , साहित्य सरोज सारस्वत सम्मान आदि